मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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सोमवार, 28 मार्च 2011

दिलकश चाँद !


दिलकश  चाँद !







 " चलो दिलदार चलो 
  चाँद के पार चलो "

तुम्हारी चमकती आँखों में छांककर पूछती--
और तुम अपनी मदमस्त आँखों को घुमाकर कहते --

" हम हैं  तैयार चलो "--

और मैं  ख़ुशी के हिंडोले में सवार 
दू.....र... आकाश में अपने पंख पसार 
बादलो से परे,
चाँद की पथरीली जमीं पर,
उड़ते -उड़ते घायल हो चुकी हूँ ,
अपने लहू -लुहान जिस्म को समेटे ,
कातर निगाहों से तुम्हे धूर रही हूँ  ,
और तुम दू....र खड़े मुसकुराते हुए,
मानो,मेरा मजाक उड़ा रहे हो---

"  चाँद को छूने वाले ओंधे मुंह जो गिरते है "








मैं  सोच रही हूँ  की यह चाँद दूर से कितना ,
हसीन !कितना दिलकश था !
क्यों मैने इसके नजदीक जाने का साहस किया !                      





तुम भी तो ' राज' ! 
उस चाँद की तरह हो ,
जिसे मैं  देख तो सकती हूँ  ,
पर छू नही सकती ----?





अपने तन -मन को घायल कर --
आज सवालों के घेरे में खड़ी हूँ  --!

दू......र से आवाज आ रही हैं  -- 

" आओ खो जाए सितारों में कहीं 
छोड़ दे आज ये दुनिया ये जमीं  " 

चलो दिलदार चलो 
चाँद के पार चलो 
हम हैं तैयार चलो ~~~~~~~!

34 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर चित्रों के साथ बढ़िया रचना पेश की है आपने!

आशुतोष की कलम ने कहा…

चाँद पर जाने चाँद को पाने की स्थिति भी मृगतृस्ना जैसी ही है..सुन्दर तरीके से व्यक्त किया आप ने..

विभूति" ने कहा…

ye song to kai baar suna per is gaane ke sath apne apni panktiyo ko bhut hi accha sajaya hai... ab lagta hai ki pura hua hai... bhut khubsurat hai..

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी
नमस्कार !
.....जोरदार
दिल को छू लेने वाली मनमोहक प्रस्तुति ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

Rakesh Kumar ने कहा…

ये चाँद भी बला की चीज हैं.पता नहीं कितनों को कविता,शायरी आदि के लिए क्या क्या भाव देता रहता है.लेकिन दूर से ही अच्छा है
पास जाने पर तो आहत होना पड़ता है.यथार्थ होता ही ऐसा है.
पर सपने की दुनिया 'चौहदवी का चाँद हो,या आफताब हो ....'

Sushil Bakliwal ने कहा…

सुन्दर चित्रों से सजी बेहतरीन अभिव्यक्ति.

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

ओये बल्ले बल्ले उस्ताद जी ! मैंनू बी अपने साथ
ले जाना । बाबू दर्शन सिंह जी ! तुसी ग्रेट हो बादशाहो ।
लेकिन चाय पकौङे डिनर सिनर रखना न भूलना ।
नहीं तो पेट में चूहे कूदेंगे । और हम चाँद पर कूदेंगे ।

संध्या शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...चाँद को छूना बहुत मुश्किल है...पर दिल तो चाहता है उस तक पहुँचने को...

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

ओये बादशाहो । तुसी अपना गिफ़्ट सिफ़्ट
सत्यकीखोज से ले आओ जी ।
गगन दमामा बाजिओ । परिओ नीसाने घाऊ ।
खेत जु मांडियो सूरमा । अब जुझन को दाऊ ।
और बताना । मुझ गिरीब दा गिफ़ट कैसा लगा ।

aarkay ने कहा…

chand ko kya maloom chahta hai usey koi chakor
wo bechara door se dekhe karey na koi shor !

डॉ टी एस दराल ने कहा…

कुछ अलग सी , सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति ।

Santosh Pidhauli ने कहा…

आपका ब्लॉग बहुत ही सुन्दर है उतने ही सुन्दर आपके विचार है जो सोचने पर मजबूर करदेते है
कभी मेरे ब्लॉग पे भी पधारिये में निचे अपने लिंक दे रहा हु
धन्यवाद्
http://santoshbihar.blogspot.com/

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Sunder chitr aur umda rachna ....Bahut Badhiya ....

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

राजीव जी ,तुसी फिकर नाट ! तुआड़े नाल ही चाँद नु वेखेगे -- साडा किचिन नाल ही जावेगा खाड -पिड वास्ते ! पेट भरिया होवेगा तभी तो गल-बात होवेगी !

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@monika ji dhanyvaad
@sntosh ji dhanyvaad
@dr. saheb dhanyvaad
@shaastri ji dhanyvaad
@rakesh ji dhanyvaad
@sandhyaa j dhanyaad
@sushil ji dhanyvaad
@aashutosh ji dhanyvaad
@sanjy ji dhanywad
@sushma ji dhanyvaad
@Aarkayji dhanyvaad








2

ZEAL ने कहा…

.

बहुत ही रोचक प्रस्तुति , थोडा रोमैंटिक कर दिया इस रचना ने। ये दिल अब चाँद के पार जाने को मचल रहा है , लेकिन दिलदार busy हैं।

Smiles..

.

संजय भास्‍कर ने कहा…

दर्शन कौर जी
पांच बार पढ़ चूका हूँ पर मन ही नहीं भरता

मदन शर्मा ने कहा…

नमस्ते आदरणीय दर्शन कौर जी!
इतना सुन्दर कविता भी लिखती हैं आप!! वाह! बहुत सुन्दर
चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो
कविता पढ़ के हो गए हैं तैयार चलो
छाने लगा है अब तो खुमार चलो

POOJA... ने कहा…

ओ जी किना खूबसूरत लिख दिया है...
इना खूबसूरत अहसास ते कवि हुआ ही नहीं...

आकाश सिंह ने कहा…

उम्दा शब्दों का जाल बिछाये हैं मजा आ गया |
--------------------
चलो दिलदार चलो
चाँद के पार चलो
हम है तेयार चलो

विशाल ने कहा…

आदरणीय दर्शन जी,
बहुत ही खूब लिखा है आपने.
इक मशहूर गीत का समावेश आपने अपनी कविता में जिस खूबसूरती से किया है,उससे कविता में जैसे जान आ गयी है.
गीत तो ढूंढ कर दोबारा सुनना ही पढ़ा,आपकी कविता भी बहुत बार पढ़नी पडी .
लगता है आप भी दिल की कलम से लिखते हो.
बाकी राज को राज ही रहने दो कोई नाम न दो.
सलाम.

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

विशाल जी ,कोई ' राज' नही है बस यू ही एक काल्पनिक प्रेमी बना रखा है --सालो से उसी को समर्पित लिखा करती थी --
कुछ प्रेरणा भी तो होनी चाहिए !भले ही काल्पनिक ही हो ?

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@पूजा जी धन्यवाद जो आप आकर होसला अफजाई करती है !
@आकाश जी धन्यवाद ! मेरी कविता आपको पसंद आई !
@मदन जी ,आपकी तारीफ के लिए शुक्रिया !
@संजय जी,धन्यवाद आप जेसे कद्र दानो की ही जरूरत है !
@ दिव्या जी,आपको पसंद आई मेरी कविता यानी १०० में से १०० !

kumaratul453@gmail.com ने कहा…

MAM BAHUT HI SUNDER LIKHA HAIN JITNI TARIF KARE UTNI HI KAM HAIN,KISI YATRA KE BARE MAIN JALDI LIKHIYE MAM,WAIT KAR RAHA HOON BYE.

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@ मेरी और कविताए "प्यारी माँ " पर भी पढ़े ! धन्यवाद

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@अतुल जल्दी ही मै ' माउंट आबू ' पर लिखुगी !

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपकी पोस्ट अद्भुत है...चित्रों के साथ गूंथी गयी कविता और फिल्म के गीत ने मायावी संसार सा रच दिया है...आप बहुत प्रतिभाशाली हैं...बधाई स्वीकारें
नीरज

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@ धन्यवाद नीरज जी ,यह मेरा सोभाग्य हे की आपको मेरी कविता पसंद आई -- शुक्रिया !

vedvyathit ने कहा…

aap ne mujhe sneh prdan kiya hardik aabhar vykt krta hoon
aap sundr rchnayen bhi pdhne ko mili bahut 2 bdhai
vndna ji ne chrchamanch me meri rchnaon pr likha hai kripya dekhne ka ksht avshy ken main prtikshart hoon

dr.vedvyathit@gmail.com

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

दर्शन जी, डैशबोर्ड देखने के लिए http://www.blogger.com को विजिट करें, नेविगेशन बार ब्लॉग प्रोफेशनल लगे उसके लिए हटाया जाता है, यदि आपको इससे असुविधा हो रही है तो जो भी कोड आपने लिखा है, उस कोड को मिटा दें |

Sunita Sharma ने कहा…

bahut sunder photo aur dil chhu lene wali rachna ke liye badhai darshan ji ...

sushil ने कहा…

चित्रों से सजी सुन्दर अद्भुत रचना |

Unknown ने कहा…

बहुत खूब 💐💐