मेरे अरमान.. मेरे सपने..


Click here for Myspace Layouts

बुधवार, 6 जुलाई 2016

जयपुर की सैर == भाग 5 ( jaipur ki sair = bhag 5)

जयपुर की सैर == भाग 5
``````````````````````````

तारीख 13 को  हम बॉम्बे से 3 सहेलियां निकली थी जयपुर जाने को  'सम्पर्क क्रांति ट्रेन ' से और वो  रात कयामत की रात थी। ... 

अब आगे -----


17 अप्रैल 2016 


आज सुबह हम हरी शर्मा जी की बेटी की शादी में शरीक होने जा रहे थे पर अचानक गिरिराज जी शर्मा (जिनके साथ हम सब जाने वाले थे ) जी के रिश्ते में किसी की मौत हो गई और हमारा प्रोग्राम केंसिल हो गया क्योकि यहाँ से भीलवाड़ा 200 km है और एकदम से बन्दोबस्त करना थोडा मुश्किल है फिर भी कोशिश की पर सफलता नहीं मिली।
मन बहुत उदास है । हरी जी ने कहा टैक्सी कर के आ जाओ मैँ यहाँ पेंमेंट कर दूँगा पर हमारी इच्छा नहीं हुई ।जिस शादी में शरीक होने आये थे वहां न जाना हुआ इसलिए सबका मूड ऑफ़ था।

दिन भर हम मुंह लटका कर रहे अचानक हमारे एक दोस्त राजीव अवस्थी का फोन आया की 6 बजे तक तैयार रहिये मैँ आपको आमेर के किले पर होने वाला लाइट ऐंड साउंड शो दिखाने ले चलता हूँ फिर हम देशी होटल में डिनर करेगे ...

वाह !!! सब को जैसे पंख लग गए , हम हवा से बाते करने लगे ,फटाफट सब कपड़े वगैरा निकालने और सजने - सवांरने लगे ,थोड़ी देर पहले फैली ख़ामोशी टूट गई ।
ठीक 6 बजे राजीव अपनी गाडी के साथ प्रकट हुए और हम सब चल दिए खेड़ापती  बालाजी के मंदिर को देखने ...यह जयपुर शहर से 51 km दूर है 
जयपुर के शानदार दरवाजो से गुजरती हुई हमारी कार जा रही थी रास्ते में बिड़ला मन्दिर , सिटी पैलेस ,हवामहल और जलमहल को पार् करते हुए हम पहुँच गए खड़े गणपति।।।

काफी दूर हमको रोक दिया गया और हम पैदल ही मन्दिर की और बढ़ चले ,ये मन्दिर काफी विशाल है इसकी पहली मंजिल पर मन्दिर है बहुत भीड़ थी हम दर्शन कर के वापस लोट आये ,अब हमारा अगला पड़ाव था आमेर का किला।

जयगढ़ का किला पार् करके हमारी गाड़ी तेजी से जयपुर के बाहर निकल रही थी और Iहम किले में न जाकर किले के पिछवाड़े चल दीये जहाँ ये शो होता है ।  हमको कार से किले के बाहर छोड़कर राजीव वापस 1 किलो मीटर पीछे चले गए गाड़ी पार्क करने , अजीब बात है इतनी दूर पार्किंग बनाने का क्या तुक है खेर, हम वही फोटू खीचने लगे और राजीव के आते ही हम किले में चल दिए जहाँ 200 रु पर व्यक्ति टिकिट थी ;विदेशियों को यही टिकिट 500 में मिल रही थी ।हमारे काफी ना करने के बावजूद भी टिकिट राजीव ने खरीदी और हम किले के ऊपर चढ़ने लगे । काफी लोग बैठे थे और सामने चल रहा था अद्भुत इतिहास लाईट के माध्यम से अमिताभ और गुलज़ार की रौबीली आवाज़ में जयपुर का शानदार इतिहास ,घोड़ो की टापो से गूंजती स्वर लहरी हमको पौराणिक जयपुर की सैर करती रही और हम मन्त्रमुक्त हो उस काल में विचरण करते रहे।

बस एक बात खटकी की फोटू लेने पर पाबन्दी थी पर हम भी कम नहीं थे  चुपचाप कुछ तस्वीरें ले ही ली ; पर मज़ा नहीं आया खैर ,कमेंट्री भी अंग्रेजी में थी हिंदी में कमेंट्री होती तो और भी ज्यादा आनंद आता लेकिन ये बात हमको पता चली जब हम 1घण्टे का शो देखकर रिटर्न हुए तो पता चला की अगला प्रोग्राम हिंदी का ही है और इसका टिकिट भी 100 रु था ओ तेरी की !!!! हम तो नए थे पर शायद राजीव को भी यह बात पता नहीं होगी वरना हम यह शो देखते।

अब हम चल दिए डिनर करने हमारी कार जयपुर की नई बनी टनल को पार करती हुई दौड़े जा रही थी यहाँ एक ढ़ाबा  गणेश पवित्र भोजनालय के सामने  राजीव ने कार रोकी बहुत ही सिम्पल और सड़क के किनारे पर स्थित यह ढ़ाबा था कुछ कुर्सियां और मेजें रखी हुई थी ; अजीब तो लगा पर बहुत इन्जॉय किया कड़ी और सेव की भाजी के क्या कहने बहुत टेस्टी थे ।सड़क के किनारों के ढाबे में खाना खाने का एक अलग ही आनन्द महसूस हुआ।

रात को हमको राजीव हमारे घर तक छोड़कर गए....
थैंक्स राजीव सबकी तरफ से ..


खेड़ापती बालाजी 


मंदिर पहली मंजिल पर 




 मंदिर का प्रवेश द्वार 



 रास्ता 




 हमको अपनी गाडी से यहाँ उतरना  पड़ा 












आमेर के किले का  पिछवाड़ा ; यही से हम प्रोग्राम देखने गए थे 


 लाईव शो 




























3 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 16 जुलाई 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

आमेर के किले में कैमरे के पैसे अलग देने पड़तते हैं, मुफ्त में फोटो खींचने पर पाबंदी है।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

आमेर के किले में कैमरे के पैसे अलग देने पड़तते हैं, मुफ्त में फोटो खींचने पर पाबंदी है।