* यात्रा जगन्नाथपुरी *
भाग 8
बनारस भाग -1
बनारस या वाराणसी
गंगा के में डुबकी लगाते हमारे जग्गा जासूस
हर - हर गंगे --नमामि गंगे
पूजन की तैयारी
पूजा में लीन
वापसी=== पीछे गंगा सफाई अभियान की मशीन
वापसी में एक फोटू सूरज के साथ
28 मार्च को मेरा जन्मदिन था और इसी दिन मैं अपनी सहेली और उसके परिवार के साथ जगन्नाथपुरी की यात्रा को निकल पड़ी |
2 अप्रैल 2017
कल हमने भुवनेश्वर खूब घुमा रात को बहुत थकान हो गई थी इसलिए बाहर ही खाना खाकर आये और जो लुढ़के तो सुबह नींद खुली। संब सो रहे थे क्योकि आज 12 ;30 बजे की ट्रेन से हमको बाराणसी यानी बनारस जाना था। ----हम है बनारसी बाबू ...
हम नाश्ता कर स्टेशन पर आ गए गर्मी बहुत थी। हमारी ट्रेन नीलांचल एक्सप्रेस ठीक अपने निर्धारित टाईम 12 ;30 पर भुवनेशवर स्टेशन पर आ गई और हमने ट्रेन में अपनी सीट पर पहुंचकर A c की ठंडी हवा से राहत पाई । भुवनेश्वर से बनारस का रास्ता काफी लम्बा है 1098 KM का रास्ता तैय करती है ये ट्रेन और इसका आखरी मुकाम है नई दिल्ली। हम कल सुबह 6 बजे ही बनारस पहुंचेगे। रास्ते में गाना गाते गुनगुनाते और ताश खेलते कब सफर कट गया पता ही नहीं चला।
3 अप्रैल 2017
बनारस का इतिहास ;-----
बनारस शहर को कहते है शिव ने खुद बसाया है इसलिए इसको तीर्थ नगरी भी कहते है।
बनारस उत्तरप्रदेश का प्रसिध्य नगर है इसको काशी भी कहते है। समुन्द्र तट से इसकी ऊंचाई 80 .71 मीटर हैं । गंगा के तट पर बसा यह भारतवर्ष का सबसे पुराना नगर है। और हिन्दू धर्म के अनुसार सबसे पवित्र नगर माना जाता है। यहाँ भोजपुरी भाषा बोली जाती है शास्त्रीय संगीत बनारस घराने से ही उत्पन हुआ है। यहाँ कई मशहूर कवि,लेखक ,दार्शनिक ,संगीतज्ञ पैदा हुए यही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस ग्रन्थ लिखा था। यहाँ का बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। यह शिव नगरी भी कहलाती है क्योकि यहाँ भगवान शिव का एक ज्योतिर्लिङ्ग विश्वनाथ स्थापित है जिसे काशी विश्वनाथ कहते है और जिसको देखने हजारों की संख्या में रोज श्रद्धालु बनारस आते है। यहाँ का पान भी प्रसिध्य है। और कलाकंद भी बहुत प्रसिध्य है। यहाँ की बनारसी साडी जगत प्रसिध्य है।यहाँ की गंगा आरती देखने लोग दूर दूर से आते है बड़ा ही धार्मिक और मनमोहक दृश्य होता है।
बनारस का इतिहास ;-----
बनारस शहर को कहते है शिव ने खुद बसाया है इसलिए इसको तीर्थ नगरी भी कहते है।
बनारस उत्तरप्रदेश का प्रसिध्य नगर है इसको काशी भी कहते है। समुन्द्र तट से इसकी ऊंचाई 80 .71 मीटर हैं । गंगा के तट पर बसा यह भारतवर्ष का सबसे पुराना नगर है। और हिन्दू धर्म के अनुसार सबसे पवित्र नगर माना जाता है। यहाँ भोजपुरी भाषा बोली जाती है शास्त्रीय संगीत बनारस घराने से ही उत्पन हुआ है। यहाँ कई मशहूर कवि,लेखक ,दार्शनिक ,संगीतज्ञ पैदा हुए यही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस ग्रन्थ लिखा था। यहाँ का बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। यह शिव नगरी भी कहलाती है क्योकि यहाँ भगवान शिव का एक ज्योतिर्लिङ्ग विश्वनाथ स्थापित है जिसे काशी विश्वनाथ कहते है और जिसको देखने हजारों की संख्या में रोज श्रद्धालु बनारस आते है। यहाँ का पान भी प्रसिध्य है। और कलाकंद भी बहुत प्रसिध्य है। यहाँ की बनारसी साडी जगत प्रसिध्य है।यहाँ की गंगा आरती देखने लोग दूर दूर से आते है बड़ा ही धार्मिक और मनमोहक दृश्य होता है।
सुबह 8 बजे हमारी ट्रेन बनारस पहुंची। हमारा एक व्हाट्सअप ग्रुप है ''घुमक्क्ड़ी दिल से और मुसाफिरनामा दोस्तों का '' उसके सभी मेंबर्स कई शहरो में रहते है जब भी कोई उनके शहर जाता है तो खूब जोरदार स्वागत होता है हम भी जब बनारस पहुंचे तो हमसे भी पहले हमारे व्हाट्सपग्रुप के मेंबर सूरज मिश्रा हमको लेने स्टेशन पर आ गए थे और उनके ही मित्र की गाड़ी अरेंज करवा ली थी जो हमको इलाहबाद संगम पर स्नान करवाने ले जाने वाली थी।
अब, हमारी ट्रेन जैसे ही स्टेशन पर आई सूरज वही खड़ा मिला पहले हमको सूरज हमारी बुक महेश्वरी धर्मशाला ले गया फिर वहां सामान बगैर रखकर और फ्रेश होकर निकल पड़े इलाहबाद की और....
रास्ते में नाश्ता और चाय पि गई और सूरज ने एक जगह से पेड़े खिलाये प्योर मावे के टेस्टी पेड़े ,मुझे बहुत पसंद आये डायबिटिक होने के बावजूद भी 2 खा गई और खाने की इच्छा को दबाते हुऐ भाव पूछा तो सन्न रह गई सिर्फ 200 रु किलो ! बाप रे, मेरे बॉम्बे में तो ये 800 रु से कम नहीं मिलेंगे, आने के टाईम जरूर खरीदूंगी।
इलाहाबाद पहुँच कर हम गंगा किनारे तक कार से गए , गंगा का पुल काफी बड़ा है और गंगा का पाट तो विशाल दिख रहा था हम नाव में बैठकर त्रिवेणी घाट तक पहुँचे ,वहां पंडितो का मेला लगा हुआ था और नावे भी ऐसे रखी हुई थी कतार बनाकर की देखते बनता था। पूजा सामग्री भी वही उपलब्ध थी हम गंगा में उतर गए यहाँ गंगा , यमुना, और सरस्वती का संगम है गंगा कुछ मटमैली हरी आभा लिए हुये थी और यमुना कुछ सांवली - सी अलग ही दिख रही थी मैं बहुत हैरान थी लेकिन मुझे सरस्वती के दर्शन नहीं हुए कहते है बद्रीनाथ में सरस्वति के दर्शन होते है बाद में ये लुप्त हो जाती है और सीधे इलाहबाद ही दिखाई देती है। इलाहबाद में कई लोगो को सफ़ेद सरस्वती के दर्शन होते है।
गंगा स्नान कर के पूजा वगैरा निपटाकर हम वापस किनारे आ गए।
शेष अगले भाग में ----
रास्ते में नाश्ता और चाय पि गई और सूरज ने एक जगह से पेड़े खिलाये प्योर मावे के टेस्टी पेड़े ,मुझे बहुत पसंद आये डायबिटिक होने के बावजूद भी 2 खा गई और खाने की इच्छा को दबाते हुऐ भाव पूछा तो सन्न रह गई सिर्फ 200 रु किलो ! बाप रे, मेरे बॉम्बे में तो ये 800 रु से कम नहीं मिलेंगे, आने के टाईम जरूर खरीदूंगी।
इलाहाबाद पहुँच कर हम गंगा किनारे तक कार से गए , गंगा का पुल काफी बड़ा है और गंगा का पाट तो विशाल दिख रहा था हम नाव में बैठकर त्रिवेणी घाट तक पहुँचे ,वहां पंडितो का मेला लगा हुआ था और नावे भी ऐसे रखी हुई थी कतार बनाकर की देखते बनता था। पूजा सामग्री भी वही उपलब्ध थी हम गंगा में उतर गए यहाँ गंगा , यमुना, और सरस्वती का संगम है गंगा कुछ मटमैली हरी आभा लिए हुये थी और यमुना कुछ सांवली - सी अलग ही दिख रही थी मैं बहुत हैरान थी लेकिन मुझे सरस्वती के दर्शन नहीं हुए कहते है बद्रीनाथ में सरस्वति के दर्शन होते है बाद में ये लुप्त हो जाती है और सीधे इलाहबाद ही दिखाई देती है। इलाहबाद में कई लोगो को सफ़ेद सरस्वती के दर्शन होते है।
गंगा स्नान कर के पूजा वगैरा निपटाकर हम वापस किनारे आ गए।
शेष अगले भाग में ----
नावों की कतारे
गंगा का लम्बा चौड़ा पाट
पूजन सामग्री और गंगाजल लेने वाले डिब्बों के साथ हम सब जाते हुए
गंगा के में डुबकी लगाते हमारे जग्गा जासूस
पूजन की तैयारी
पूजा में लीन
वापसी=== पीछे गंगा सफाई अभियान की मशीन
वापसी में एक फोटू सूरज के साथ
1. यात्रा जगन्नाथपुरी की -- भाग 1
2. यात्रा जगन्नाथपुरी की -- भाग 2
3. पुरी के अन्य दार्शनिक स्थल-- भाग 3
4. यात्रा जगन्नाथपुरी-- भाग 4 कोणार्क मंदिर -- भाग 1
2. यात्रा जगन्नाथपुरी की -- भाग 2
3. पुरी के अन्य दार्शनिक स्थल-- भाग 3
4. यात्रा जगन्नाथपुरी-- भाग 4 कोणार्क मंदिर -- भाग 1
7 टिप्पणियां:
बुआ बहुत बढ़िया...सारे फोटो बहुत अच्छे है
बुआ जी आपके साथ हमने भी यात्रा कर ली
ट्रैन से बनारस उतरे,
कार से इलाहाबाद गये।
क्या चक्कर है बुआ जी,
बनारस वापसी में घूमे...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 03-08-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2686 में दिया जाएगा
धन्यवाद सहित
पेडे का स्वाद... वाह,,, बढिय़ा यात्रा बुआ जी
बनारस, वाराणसी या काशी
waah waah
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