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शनिवार, 25 अक्टूबर 2025

केरला डायरी भाग-3

*।।केरला-डायरी।।*
भाग--3
29दिसम्बर 2024



मेरी केरला-यात्रा 26 दिसम्बर से पनवेल से शुरू हुई थी जो 27 दिसम्बर को कोच्चीवेळी पहुँची थी। अब हम मुन्नार में हैं  आज हमारा दूसरा दिन हैं, अब आगे:-----

कल सुबह मुन्नार में हमारे ग्रुप की गर्ल्स ने चाय के बगानों1 में आग लगा दी 😳🤭 हैरान मत हो, आग लगाने से मेरा तातपर्य यह हैं कि कल उन्होंने सुबह सुबह चाय के बगानों में जाकर जो थईया -थैया किया कि सारे बागानों के तोते उड गए जिन्हें देखकर मेरे हाथों के भी तोते उड़ गए😔 क्योंकि कल मैं बुलाने पर भी नहीं गई थी तो मुझे अफसोस तो होगा ही क्योकि मेरी उनकी साथ खूबसूरत  वीडियो न बन  सकी।  इसका मुझे अफसोस  हैं।😪
पर अब अफसोस करने से क्या फायदा🙆  इसलिए  मैंने भी आज कमर कस ली कि उनसे भी बढ़िया वीडियो बनाकर दिखाउंगी 🙋 वो अलग बात है कि उनके जैसी क्या उनसे आधे के जैसी भी वीडियो नही बन सकी😭😪
खेर, मैं किसी तरह किसी को भी न बताये चुपचाप होटल से बाहर आ गई। अपनी सेल्फी स्टिक को हवा में,,,,   , उछालती हुई। 
बाहर  काफी ठंडक थी। एक ठंडा हवा का फ्रेश झोंका मेरे अधरों को चूमता हुआ खेतों में गुम हो गया और मैं उसी के पीछे मतवाली चाल से अपने बालों को झटकाती हुई खेतो में घुस गई ।कुछ फोटू खिंचे पर अकेले मजा नही आया तो वापस लौट रही थी कि अचानक मैंने वहाँ एक भुतहा घर 💀देखा फिलकुल अंग्रेजी फिल्मों जैसा था तो मैं भाग खड़ी हुई और अपने  दड़बे में आकर ही दम लिया।👻किसी को कानो कान खबर नही हुई।🙃😔वो तो अच्छा हुआ मुझे आते समय हमारे एडमिन संजय कौशिक नही मिले वरना ये बात सारे ग्रुप में जग जाहिर हो जाती😎🤭😳
कुछ देर बाद विजयी चाल चलती हुई मैं डायनिंग एरिये में आ गई  जिधर सब नाश्ते पर टुटे पड़े थे।आज दिन की शुरुआत एक मनहूस खबर से हुई ।हम जवान लोगो के ग्रुप की नन्ही कली हमारी प्यारी नेहाशर्मा को पैर में मोच आ गई थी जिसके कारण उससे चला नही जा रहा था। मिस्टर शर्मा और सरोज परेशान थे अब क्या होगा पर बहादुर नेहा सबको चिल्लल कर के आगे के सफर को तैयार हो निकल पड़ी।
आज हम किसी नेशनल पार्क में जाने वाले थे। वहाँ जाने के लिए 2 से ढाई घण्टे लगना था और इतना टाइम हमने अंताक्षरी खेलकर बिताया समय का पता ही नही चला और हम सब  "एराविकुलम नेशनल पार्क" के गेट के पास खड़े थे।यहाँ काफी भीड़ थी हमारी टोली भी इस भीड़ में शामिल हो गई। यहाँ से बस द्वारा हमको दूर पहाड़ पर जाना था रास्ता दिलकश था चारो ओर दूर तक चाय के बागान अपने हाथ फैलाये खड़े थे आखिर में बस ने हमको एक निश्चित जगह पर उतार दिया यहाँ काफी भीड़ थी। कुछ स्टॉल भी बने थे जिसपर चाय और केक मिल रहे थे । ग्रुप के सदस्यों ने यहां हल्का फुल्का नाश्ता किया और मैंने भी चाय और केक खरीद लिया परन्तु यहाँ बड़ा बेकार सिस्टम था आप कैश पैसों से कुछ नही खरीद सकते थे सब अपने कार्ड से खरीदो।इसलिए लाईन लंबी थी।
खेर, ये पार्क बड़ा ही सुंदर था ।सारे पर्यटक इसको दिखने यहाँ जरूर आते थे इसलिए काफी भीड़ थी।यहाँ वैसे तो कोई जानवर दिखाई नही दिया। हाँ,बकरी जैसे जानवर जरूर घूम रहै थे।जिसके लिए लिखा था कि ये नीलगिरी ताहर लुप्त प्रजाति की पहाड़ी बकरी हैं ।काफी लंबी चौड़ी ये बकरी यहां पर्यटकों से हिलिमिली बेखोफ घूम रही थी सबके साथ मस्त फोटू खिंचवा रही थी।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि कुछ लोग ट्रेकिंग करके ऊपर जा रहे है जो आगे जाकर एक छोटी सी पहाड़ी पर समाप्त होती थी। वहां से घाटी का मनोरम दृश्य नजर आता था। यहां से मुन्नार की सबसे ऊंची चोटी "अनामुडी" के भी दर्शन होते हैं जो लगभग 2695 मीटर की ऊँचाई पर थी।
पैदल चलने के अलावा यहां बैटरी कार भी चल रही थी जो 800 रु पर-पर्सन के हिसाब से चार्ज ले रही थी। पैसे बहुत ही ज्यादा थे मेरे ख्याल से इतनी ऊंचाई के लिए 400 रु ठीक थे। मैं आधी दूर जाकर वापस लौट आई क्योकि मेरे लिए ज्यादा चढ़ाई चढ़ना नुकसानदायक था लेकिन ग्रुप के ज्यादातर सदस्य ऊपर जाकर Gds का झंडा फहरा कर ही आये।
यहाँ जाने और आने में काफी समय लगा।थक भी गए थे और कल की तरह आज भी यहाँ कोई लंच करने को तैयार नही था क्योंकि यहाँ सब जगह सिर्फ स्नैक्स की ही दुकानें थी जिन पर सिर्फ आइसक्रीम ओर केक ही बिक रहे थे ।अब कितना केक खाये🤪
थोड़ी देर बाद हमारी बस एक वाटरफॉल की तरफ दौड़ रही थी और मुझे खाली पेट चक्कर आ रहे थे ।इतने में मैंने देखा कि मेरे पीछे कुछ खुसुर-पुसुर हो रही हैं और कुछ देर में ही पिटारा खुल गया ।उधर से ललिता लड्डू ले आई तो सोनाली केक ले आई ,तो सरोज  थेपले ले आई और आखिर में योगिता ने मोटी मोटी गजब की मीठी रोटी खिलाई😀 यानी कि लंच की कमी सबने मिलजुल कर दूर कर दी।यही तो एकता की ताकत हैं।और Gds की एकता की तो मिसालें दी जाती हैं। Gds जिन्दाबाद।
अब हम Lakkom वाटर फॉल जो नेशनल पार्क से ज्यादा दूर नही था हम उधर पहुँचे।यहाँ भी 50 रु की बलि चढ़ाकर हम तेजी से ऊपर की तरफ चल दिये ।ये एक खूबसूरत महाबली वाटरफॉल था जो पूरे वेग से अपने उफान पर था ।ग्रुप के बच्चे राहुल और मनन तो लपककर फॉल के पास पहुँच गए  ।लेकिन मैं , मेरे मिस्टर, सोनाली ओर अनिता मैडम दूर से इसको देखकर ही खुश हो रहे थे जबकि सारे सदस्य पानी के पास पहुँचकर जलक्रीड़ा में मग्न थे।
यहाँ से हमारी सवारी चंदन के पेड़ों वाले जंगल मे जाने वाली थी पर सबने मना कर दिया अब  चन्दन को देखने कौन जाएगा।अगर वीरप्पन जिंदा होता तो कोई बात भी थी ।अब कौन 3 घण्टे का सफर करके चन्दन के पेड़ देखने जाए।अब तो "पुष्पा"का जमाना हैं वही नकली चन्दन देख लेंगे🤣🤣😂🤣
अब हमने बस वाले अन्ना को बोला कि वो हमको मुन्नार के बाजार में छोड़ दे ताकि हम बाजार की रौनक देख सके और कुछ खरीदारी भी कर सके । आखिर अब सोनाली के लिए अन्नानाश भी
तो खरीदना था। आज उस बेचारी को कहीं भी कोई अन्नानाश बेचता अन्ना नही मिला😩
और हम मुन्नार के बाजार में उतर गए।
उसके बाद बड़ा ही रौचक मामला हुआ जो सोनाली ने लिखा है🤪🤪 कृपया जरूर पढ़ें।
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तो मिलते हैं कल अगले एपिसोड में हम लोग।





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