मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शनिवार, 25 अक्टूबर 2025

*छतरी*

मेरी छतरी
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किसी भी चीज को व्यर्थ नही समझनी चाहिए।
मैं जब घर से निकलने लगी तो याद आया बारिश के दिन है कभी भी इंद्रा देवता हल्ला बोल सकते है।तो मैंने कमरे में नजर घुमाई 2 छतरियां देखकर मेरे मन को संतुष्टि मिली।पर एक फुल लंबी थी और एक फोल्डिंग थी।फोल्डिंग वाली टूटी थी ,जबकि लंबी वाली ले जाना नही चाहती थी।फिर टूटी हुई फोल्डिंग को ही ले जाने को मजबूर हुई। मैंने टूटी  छतरी उठा ली।

अब क्या हुआ कि दूसरे दिन जिस डेस्टिनेशन पर पहुँची तो वहाँ बारिश ऐसे गायब थी जैसे गधे के सींग!भयंकर गर्मी से  दो -चार  होना पड़ा।

2 दिन बाद जब मैं वहां से चलने लगी तो  छतरी अखरने लगी। अब इस टूटी हुई छतरी का क्या किया जाए।काफी सोच विचार कर मैंने वही होटल के कमरे में फेकने का सोचा।तैयार हो हम कमरे से निकल गए।

अचानक मैंने मुड़ कर छतरी को देखा वो अनुनय विनय मुझे ही ताक रही थी।मैंने एक गहरी सांस ली और निकल गई।

आगे के सफर में मुझे उसकी कातर निगाहें घूरती रही फिर कार के पहियों के साथ धूमिल पड़ती गई।

आगे मैं  अपने नए डेस्टिनेशन पर पहुँचने ही वाली थी कि जोरदार बारिश हो गई और मुझे फिर से अपनी टूटी छतरी याद आने लगी।

उस दिन मेने जिंदगी का ये सबक सिखा की,कोई भी चीज फालतू नही होती सबकी अपनी एक जगह होती है। 


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