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रविवार, 12 फ़रवरी 2023

तमिलनाडुडायरी#6

तमिलनाडुडायरी#6
15दिसम्बर 20220


सुबह उठकर हम टैक्सी से रामेश्वर से वापस मदुराई जा रहे थे।
हमने उदास दिल से ठीक 12 बजे रेखा को एयरपोर्ट ड्रॉफ् किया ।अच्छे से उसको एयरलाइंस के कर्मचारियों के हवाले कर हम दूसरी टैक्सी से रेल्वे स्टेशन आ गए।
अभी तक हमने किधर जाना है ये सोचा नही था।क्योकि कुछ समझ नही आ रहा था। एक मन कर रहा था कि डायरेक्ट कन्याकुमारी चला जाय,कभी लगता वापस रामेश्वरम चला जाय, ताकि बाकी चीजें देखी जा सके। क्योंकि भविष्य में फिर कभी रामेश्वरम आ पाऊंगी इसमें थोड़ा संदेह था।
हारकर हमने वापस रामेश्वरम जाने का फैसला किया।पर हाय री किस्मत ये फैसला हमने देर से लिया ।थोड़ा जल्दी ले लेते तो लगैज वही रूम पर रखकर आते और टैक्सी से ही वापस चले जाते क्योकि हमने दोनो तरफ का किराया दिया था।
पर अब क्या करे; जब उबरे जब चिड़ियां चुग गई खेत 😝😜😝
इस तरह हम वापस स्टेशन पर आ गए।हमने इन्क्वारी की तो पता चला कि रामेश्वरम वापस शाम 6 बजे वही गाड़ी जाएगी।जिससे कंल हम गए थे तो हमने उसी गाड़ी के 2 टिकिट कटवाकर रख लिए ओर सामान क्लार्क रूम में जमा करवाकर खाना खाने चल दिये।

हम उसी पुराने पंजाबी ढाबे में गए और आराम से भिंडी मसाला,तड़के वाली दाल साथ मे लस्सी पीकर दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे तो सोचा कि क्यों न हम तंजोवर निकल जाएं रात वही रुककर सुबह  वहां का भव्य मंदिर देखकर फिर रामेश्वर चला जाय।परन्तु ट्रेन की टिकिट हाथ मे थी। फिर सोचा कि 170 रु में कौन सा मेरा खजाना खाली होने वाला था😃
मैंने मिस्टर को अपने दिल की बात बताई परन्तु आलसी इंसान ने तुरंत ना में मुंडी हिला दी😔 अब क्या करे ,एक घुमक्कड़ ओर दूसरा साधारण इंसान। आखिर हार माननी ही थी, कोई चारा नही था।
भगवान पर बहुत गुस्सा आया ,अरे मेरे लिए कोई अच्छा घुमक्कड़ नही मिला था क्या?😠 खेर,

 खाना खाकर जब हम लौटे थे तो 3 बज रहे थे और अभी भी हमारे पास 3 घण्टे थे।
हम मदुराई के पेड वेटिंगरूम (लोंज) में गए तो देखा वहां 60 रु प्रति घण्टा चार्ज था।यानी कि हम दोनों का 120 रु 1घण्टे का चार्ज लगना था मुझे थोड़ा महंगा लगा।क्योक अभी हाल ही में जब मैं पन्ना मीटिंग में गई थी तो सतना रेलवेस्टेशन पर ऐसे ही पेड वेटिंगरूम (लाँज)का मैंने 10 रु प्रति 1घण्टे का चार्ज दिया था और सारी रात 100 रु में गुजारी थी।
मरता क्या न करता।हम खुले में आ गए और प्लेटफार्म न.5 पर आकर एक सीट पर कब्जा जमाकर बैठ गए।आज का दिन ही बेकार है ये सोचकर मन को तसल्ली दी।
धीरे धीरे 5 बजे ओर ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आकर लगी और हम उसमें सवार हो गए।
अपने नियत समय पर ट्रेन चल दी और रात साढ़े नो बजे वापस रामेश्वरम की पावन धरती पर हमारे कदम पड़े।
रास्ते में महेश्वरी धर्मशाला में फोन किया कि हमारा रूम किसी को मत देना हम वापस आ रहे है। पर रामेश्वर पहुँचकर उस बेकार धर्मशाला में जाने का मन नही हुआ इसलिए हम दूसरे होटल में चले गए।
ये होटल बहुत ही शानदार था ।वहां 950 का रूम था और यहां 1200₹ का रूम मिला ।लेकिन रूम एकदम जोरदार था।यहां से भी मन्दिर का गेट दिख रहा था ओर ये शायद दक्षिण द्वार था।
रूम में आकर एक शांति सी मिली और हम कल की रूपरेखा बनाकर सो गए।
क्रमशः----

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