★मेरी वन्डरफुल यात्रा★
भाग=1
(राजस्थान डायरी)
28 सितम्बर से 2 अक्टूम्बर तक।
29 सितम्बर 2019
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25 सितम्बर को अचानक मेरी बचपन की सखी रुक्मा का फोन आया..."चल, श्रीनाथजी के दर्शन करते हैं।"
"कब"?
"28 को निकल रहे हैं हम 6 लोग हैं तुझे मिलाकर 7 हो जायेगे,टवेरा गाड़ी की है जो खर्चा होगा आपस में मिल बाट लेंगे"
स्किम पसन्द आई लेकिन सिर्फ 2 दिन में कैसे निकलू सोचने की बात थी फिर अपना जुगाड़ू दिमाग लगाया और सबसे पहले बहु से पूछा उसने ग्रीन सिंग्लन दिया तो समझो किला फतेह हुआ...अब मिस्टर को पटाना था...थोड़ी चूं-चाँ के बाद परमिशन मिल गई अब बेटे को टिकिट करवाने का बोला तो 3और 2 Ac फूल थे सिर्फ सिलिपर में Rac था तो मैंने श्रीनाथजी का नाम लेकर टिकिट निकलवाने का बोल दिया ..घूमने के लिए तो मैं नीचे फ़र्श पर भी बैठने को तैयार हूं ☺️
अब तक सबकुछ ठीक चल रहा था फिर तैयारी करने में जुट गई और 28 की रात को अपने नियत समय पर बॉम्बे सेंट्रल से इंदौर की #अवंतिका एक्सप्रेस" पकड़ ली...
29 की सुबह इंदौर में आँखें खुली 10 बजे स्टेशन से ऑटो पकड़कर सीधे अपनी सहेली रुकमा के घर पहुंची... पहुंचकर फटाफट राजाबाबू बनकर तैयार हो चल दिये एक बड़ी गाड़ी में सवार हम 6 लोग, 1सवार हमको उज्जैन में मिलना था तो हम उड़ चले इंदौर से उज्जैन की ओर..
सुबह का सुहाना सफर ओर बारिश के बाद जंगल का हराभरा माहौल...दिल को अजीब-सा सुकून दे रहा था.. इस बार बारिश ने Mp में अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे तो चारों ओर भयंकर पानी भरा हुआ था ,खेतों ने ओर पानी पीने से साफ इंकार कर दिया था लिहाजा पानी खेतों में ऐसा भरा हुआ था कि किसी ने अभी -अभी गिलास से पानी डाला हो; फिर भी फ़िजा में एक अजीब सी खुशबू तैर रही थी ..मन प्रसन्न हो अंगड़ाई ले रहा था ...उस पर 4 औरतों की कचर -पचर ओर तेज गीतों की स्वरलहरी फ़िजा में रंगीनियां बिखेर रही थी...
उज्जैन पहुंचकर 1 मेम्बर को साथ लिया और उनके घर पर गरमागरम चाय पीकर हम उज्जैन शहर को अलविदा बोल आगे बढ़ गए।
रास्ते में इंदौरी #पोहे ओर #कचौरी का गरमा गरम नाश्ता किया और जा पहुंचे नलखेड़ा जिला आगर एम. पी. में स्थित माँ बगलामुखी सिध्दपीठ के मंदिर में...
आज नवरात्री का पहला दिन था ओर हम बगलामुखी माता जो तंत्र - मंत्र की सिद्ध माता है उसके दर्शनों से निहाल हो गए ...
जय माता की👏
मन्दिर में ज्यादा भीड़ नही थी..बहुत आराम से दर्शन किये ढ़ेर सारे फोटू क्लिक किये और माता के भण्डारे पर भी हाथ साफ किया.. टेस्टी साबूदाने की खीर ओर साबूदाना फरहाली खाकर बाहर निकले ही थे कि Tv रिपोर्टरों ने घेर लिया एकदम Vip जैसी फिलिंग आ रही थी...हम भी खुद को Vip समझकर इंटरव्यू देने लगे..आखिर एन. डी. टीवी का इंटरव्यू था,साथ ही लोकल एम. पी. ओर राजस्थान के टीवी चैनल्स भी थे...! फिर क्या था, हमारा धुंआधार इन्टरव्यू शुरू हुआ...
--- - --- -- @#!😂
अब हमारा अगला डेस्टिनेशन था राजस्थान में भीलवाड़ा..!
यहां हमारा निजी काम था सो जाना जरूरी था .. लेकिन एम. पी. ओर राजस्थान में इस साल अत्यधिक बारिश होने के कारण सड़कें लापता थी,चारों ओर कीचड़ ओर गढ्डों का साम्राज्य फैला हुआ था और हमारी डोंगी डगमग डगमग होये जा रही थी...दचकों से पिछवाड़ा सुन्न हो गया था जो पीछे बैठे थे उनका तो खुदा गवाह था 😢
फिर भी हमारा वीर बालक गाड़ी को खें कर आराम से गानों का लुत्फ़ उठाते हुए बड़ी सफाई से गाड़ी को गढ्डों से बचाता हुआ निकाल रहा था।
खेर, इन खूबसूरत बलखाती सड़कों की नदारती के रहते हम भीलवाड़ा न जा सके..सुबह तो सब डींगें हांक रहे थे कि आज हम भीलवाड़ा होकर रात को श्रीनाथजी में आराम करेंगे और इधर हम अभी तक एम. पी.में ही टहल रहे थे...
" एम पी गजब हैं"😂😂😂
बार बार यही गाना दिमाग में बज रहा था..
"कांग्रेस सरकार की जय👏
रात के करीब 8 बज रहे थे और जो सफर दिन में सुहाना था अब भयानक हो गया था .. फिजायें सब चारा खाने निकल गई थी और झिंगरु अपनी टोली लिए आ चुके थे... चारों ओर झींगुरुओ की भयंकर आवाज़ गूंज रही थी...कई जगह तो मेढ़क बाबा भी उनके साथ अपनी आवाज़ मिला रहे थे...और हम सब ऐसे चुप बैठे थे मानो हमने कोई भूत देख लिया हो?
हम अभी तक मंदसौर (Mp) भी नहीं पहुंचे थे .. जबकि आज हमको राजस्थान पहुँच जाना था ।अचानक सबने मंदसौर ही रुकने का प्लान बनाया क्योंकि रात के अंधेरे में बारिश के मौसम में बाहर गाड़ी में सेफ नहीं था.. सड़कें टूटी थी..पुल बह गए थे.. इसलिए सह सहमति से आगे न बढ़कर हमने मंदसौर ही ठहरने का फैसला किया...
"भैय्या जी की जय!"
क्योकि हमारे साथ जो भैयाजी चल रहे थे उनके भाई का घर यही था... रुकमा के पड़ोसी भाई साहब ने आननफानन में सारा बंदोबस्त फोन पर ही कर लिया और हम रात 11 बजे काफी मशक्कत के बाद खाना खाकर सोने की तैयारी में लग गए ...
"वो कैसे?"
तो हुआ यू की.. किस्मत से भईया जी के छोटे भाई मंदसौर में ही रहते हैं लेकिन अभी अमेरिका अपने बेटे के पास गए हुए हैं ओर उनके घर की चाबी पड़ोसी के पास थी सो हमने पड़ोसी से चाबी ली ओर होटल से पैक करवाया हुआ खाना खाया और हमारा आज का ठिकाना मंदसौर में पक्का हुआ।
इस तरह हींग लगी न फिटकरी ओर रंग भी आया चोखा!!
बाकी कल सुबह उठकर , आज बहुत थक गई हूँ...😃
गुडवाली नाईट👍
1 टिप्पणी:
Bahut khoob
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