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गुरुवार, 11 मई 2023

तमिलनाडू डायरी#14

तमिलनाडुडायरी#14
कन्याकुमारी भाग 4
19 दिसम्बर 2022


हम स्वामी विवेकानन्द स्मारक देखकर खाना खाकर जब वापस आ रहे थे तो उस पागल जैसे दिखने वाले आदमी ने हमारा रास्ता  फिर रोक लिया। अब ये कौन था? इसके लिए हमको आज सुबह 6 बजे वापस पीछे जाना पड़ेगा।

तो हुआ यूं था कि आज सुबह जब हम सूर्योदय का दिलकंश नजारा देखकर अपने होटल वापस आ रहे थे तब हमने एक चाय वाले के पास खड़े होकर चाय पी थी।(आप लोगों को याद होगा) तो वही जब हम चाय पी रहे थे तब ये महानुभव अपनी निगाहें पेपर में गड़ाए बैठे थे
 अपनी नजरे हटाये बिना ही मुझे घूरकर बोले– " मैडम जी, त्रिवेन्द्रम जाना हैं क्या?"
"जी, हाँ!!"मैंने भी फट्ट से बोला"
"3,500₹ लूंगा अगर चलना हो तो? 5 स्थान दिखाऊंगा।"
"कौन-कौन से–– मैंने पूछा!
"@#-%*℃$∆¢£" उसने बताया
"ठीक हैं,बाद में बताएंगे!!!"
मैंने टाल दिया।
क्योंकि मैं 2-4 जगह टटोलकर ही कुछ डिसीजन करती हूं।
फिर हम अपने होटल आ गए।
होटल पहुँचकर हम थोड़ा आराम करने लगे।कुछ देर बाद हम तैयार होकर गुलफाम बने होटल से बाहर आ गए।
होटल से निकलते ही वो बेवकूफ सा दिखने वाला आदमी फिर नजर आ गया।शायद हमारा ही इंतजार कर रहा था।
"मैडम जी, चलना है क्या? मैं 3 हजार 100 रु लूँगा ,मेरी कार हैं और यहां सब ज्यादा पैसे मांगेंगे।"
मैंने फिर टाल दिया ।और आगे ऑटो में बैठकर विवेकानन्द स्मारक देखने चल दी थी।
हम वापस लौटकर खाना खाकर आ रहे थे तब वो फिर मिल गया।
"कल का पक्का हैं ना" । मैंने भी बोल दिया कि ठीक हैं।
वो फिर बोला–"मैडमजी, जबान दी हैंमुकरना नहीं ,गरीब आदमी हूँ।" 
तब थोड़ी मुझे उस पर दया आ गई । मैंने बोला, "ठीक हैं कल चलेंगे"
फिर मैंने फैसला कर लिया कि अब हम इसके साथ ही चलेंगे।
दोपहर को बहुत धूप थी और हम थक भी गए थे तो थोड़ा आराम करने होटल वापस आ गए। 
शाम को 5 बजे हम रूम से बाहर निकले तो होटल का एक ड्राइवर मिला,उसने भी हमसे त्रिवेन्द्रम जाने का पूछा ओर 3हजार ही रेट बताये । पर अब मैंने उसी कृष्णा के साथ जाने का फैसला कर लिया था।जब खुद कृष्ण कन्हिया मेरे सारथी बने थे तो मैं कौन होती हूँ उनको मना करने वाली😆

हमने एक ऑटो किया और सुर्यास्त देखने चल दिये। बीच पर आए तो देखा बादलों ने पूरे आकाश को जकड़ रखा हैं। कहीं से भी सूरज की एक झलक तक दिखाई नही दे रही थी। बीच पर लोग मख्खियों की तरह भिनभिना रहे थे।😃 और समुन्द्र की लहरें उछल उछल कर सबका वैलकम कर रही थी।
मैंने एक कोना ढूंढ लिया जिधर कम पब्लिक थी। बहुत ही खुशनुमा माहौल था। यहां मैंने समुन्द्र किनारे बड़ी बड़ी गोल चट्टानें भी देखी।कुछ तो 1मंजिला ऊंची थी। हमारे बॉम्बे में किसी भी बीच पर ऐसी चट्टानें मैंने आजतक नहीं देखी थी।

खेर, मैं भी लहरों के साथ कुछ देर धमाचौकडी मचाती रही। आती जाती लहरें ओर उनका शोर मुझे हमेशा से अच्छा लगता है।सबकुछ भुला देता हैं।कुछ देर एक चट्टान पर बैठकर मैं लहरें गिनती रही,हवा के ठंडे झोंके आंखें बंद करने को मजबूर करते रहे। कुछ देर लहरों से  आंख-मिचौली खेलने के बाद अचानक याद आया कि अभी तक सूरज महाराज आये नही हैं 🤔 फिर से गगन पर सरसरी नजर डाली पर कहीं भी अरुण देवता के दर्शन नही हुए।मतलब आज बादलों के कारण सूर्यास्त देखने को नहीं मिलेगा😪 बहुत मायूसी हुई ।कन्याकुमारी का फ़ेमस सूर्योदय तो देख लिया था पर सूर्यास्त के टाइम किस्मत ने साथ नही दिया। खेर, रही जिंदगी तो फिर आएंगे😄
कुछ देर बाद जब अंधेरा हो चला तो हम भी अपने ऑटो के पास आ गए।
फिर हमारे ऑटो वाले के कहने पर हम एक जगह म्यूजिकल फाउंटेंन देखने आ गए ।यहां 50₹ ओर 100₹ टिकिट था। हमने 100 ₹के 2 टिकिट खरीदे ओर अंदर आ गए।ये एक आर्टिफिशल लाईट शो था जिधर लाईट ओर गानों की धुन पर फाउंटेन चल रहे थे।थोड़ी देर देखने के बाद हम बोर हो गए और बाहर निकल गए। लोग पैसे कमाने के लिए क्या-क्या हथकण्डे अपनाते हैं। वापस ऑटो में बैठकर हम अपने होटल आ गए।यहां हमने एक बहुत बड़ी गलती कर दी।शाम को हमको भारत माता मंदिर जाना था जिसे हम पूरी तरह भूल गए थे।फालतू का फाउंटेन नहीं देखते तो भारतमाता मन्दिर जरूर चले जाते खेर,देखते हैं सुबह कुछ देखने को मिलेगा या कृष्णा जी शीध्र पधार जायेगे😃 
रात को बाहर टहलने निकले ,भूख थी नही क्योंकि दिन में खाना लेट खाया था तो सिर्फ एक रेस्टोरेंट में मिस्टर ने पुलाव खाये ।फिर मैंने भी एक आइसक्रीम खाई ओर लौटते हुए बाजार की रौनक देखते हुए वापस होटल लौट आये। क्रिसमस के कारण बाजार काफी सजे हुए थे यहाँ भी क्रिश्चियन काफी मात्रा में हैं तो क्रिसमस की रौनक लगी हुई थी।अब कल सुबह देखते हैं क्या होता हैं।
चलो मिलते हैं कल सुबह...🙏



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