तमिलनाडूडायरी#16
कन्याकुमारी भाग# 6
20 दिसम्बर 2022
19 को हम कान्यकुमारी आये थे और आज 20 दिसम्बर को हम सुबह कन्याकुमारी से निकल गए पहले सुचिन्द्रम मन्दिर घूमकर अब कही और जा रहे है।अब आगे:--
सुचिन्द्रम से निकलकर हमारी कार आगे बढ़ने लगी अब हम किसी जलप्रपात यानी कि वाटरफॉल पर जाने वाले हैं और उसका नाम हैं "थिरपराप्पु वाॅटरफाॅल" यह कन्याकुमारी से 1घण्टे की दूरी पर था।यहां से 60 फीट नीचे पानी झरने के रूप में गिरता है। जहाँ पर आप स्नान कर सकते है ओर नाव के द्वारा यहाँ पानी में घूम भी सकते है।
ये कृष्णा हमारे ड्राइवर ने जो 5 स्थान बताये थे उसमें नम्बर 2 पर था ये वाटरफॉल,पर ये थोड़ा अपोजिट साइड था इसलिये कृष्णा कुछ आनाकानी करने लगा बोलता हैं कि अभी बारिश हुई हैं ? पैदल चलने का रास्ता हैं ,छोटी पगड़न्ड़ी हैं आप लोग चल नही पाओगे?वगैरा वगैरा।
इसलिए हमने वहां जाने का प्रोग्राम कैंसिल किया और अब हम डायरेक्ट केरल राज्य में प्रवेश कर रहे थे।केरल और तमिलनाडु बार्डर पर हैं "पूअर बैकवाटर" जो प्राकृतिक हैं।
पूअर बैक वाटर (Poovr Back water)
पूवर दक्षिण भारत के केरल राज्य के त्रिवेंद्रम जिले का एक छोटा सा तटीय गाँव है। यह गांव लगभग त्रिवेंद्रम के दक्षिणी सिरे पर है। इस गांव में एक खूबसूरत समुद्र तट और बैकवाटर हैं ।अनछुआ, पूवर बैक वाटर एक दुर्लभ स्थान है जो दक्षिणी केरल में सबसे शांत बैकवाटर हैं ।यह बैक वाटर चमकीली रेत के समुद्र तट की ओर खुलता है। पूवर बैकवाटर वास्तव में स्वर्ग का एक द्वार है। यह क्षेत्र मसालों, पक्षियों, विदेशी फूलों, केले और नारियल के पेड़ों की सैकड़ों प्रजातियों के साथ अच्छी तरह से संरक्षित क्षेत्र है।
हमको कृष्णा एक बोट के मालिक के पास ले गया वो हम दोनों को एक बोट में ले गया जो स्टिमर की तरह था।2500₹ किराया 1घण्टे की तफरीह का था।
हमने वो बोट किराए पर ली और सेफ्टी जैकेट पहनकर पानी मे कूद पड़े।यानी कि स्टीमर में बैठ गए😀 शानदार नजारा था हमारी नाव शांत पानी मे धीरे धोरे चल रही थी।यह एक छोटी सी गली टाइप जगह थी,जिधर से हमारी बोट गुजर रही थी, नजदीक ही पेड़ दिख रहे थे जिन्हे हाथों से छू सकते थे।मुझे बोट वाले ने एक पानी का साँप भी दिखाया।पर दूर होने की वजय से ठीक से दिखाई नही दिया। मुझे पाइन एप्पल के पेड़ दिखाये जिसमें पाईंनऐप्पल लगे हुए थे।
धीरे धीरे हमारी बोट आगे बढ़ रही थी। इतना सारा पानी ! उसमें ढेर सारे पेड़, बहुत ही एक्साइटेड लग रहा था।मैं कभी इधर का, कभी उधर का पागलों की तरह विडियो बना रही थी फिर थक गई तो सारा नजारा आंखों से पीने लगी।एक जादुई माहौल था, सस्पेंस क्रियेट कर रहा था।मैंने ऐसा पहले कभी देखा नही था ।मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अचानक मैंने बोट चलाने वाले से पूछा कि "भई, इधर मगरमच्छ तो नही हैं?" वो मुस्कुराकर बोला– "नहीं।"☺️
फिर हम सकरी सी गली से निकलकर बाहर आये इद्दर पानी का फैलाव ज्यादा था यानी जैसा बड़ी नदी होती हैं वैसा ही कुछ लग रहा था । इधर आकर बोट वाले ने मोटर चला दी और हम नदी में तैरते एक रेस्टोरेंट के नजदीक पहुँच गए।इस साइड में कुछ रेस्तरां बने थे जो बोट में ही थे और छोटी छोटी बोट में घूमने वाले हमारे जैसे लोग इनके अंदर जा रहे थे।अंदर टेबल कुर्सी लगी थी कुछ अंदर फ़ोटुग्राफी कर रहे थे।
हम तो बोट से उतरे नही बस वही पर बैठे बैठे चाय और पकौड़े मंगवा लिए।पकौड़ों का साइज बहुत बड़ा था पर टेस्टी थे ।कीमत 250 रु पर प्लेट थी।
चाय पीते हुए हमारी बोट फिर चल दी, दूर सुनहरी रेत वाला तट दिखाई दे रहा था। हमारी बोट वहां पहुँचकर एक जगह खड़ी हो गई ओर हम उससे उतरकर रेत पर घूमने लगे ।वही दूर तक फैला समुन्द्र दिखाई दे रहा था।बार बार लहरें किनारे आती और चली जाती थी। एक तरफ बैकवाटर ओर दूसरी तरफ समुन्द्र हिल्लोरे ले रहा था ।बीच मे सुनहरी रेत का भाग बहुत ही दिलकंश लग रहा था।
कुछ देर घूमकर हम वापस बोट में आ गए और हमारी बोट आ गई वही जिधर हमारी गाड़ी खड़ी थी।ये इस ट्रिप का सबसे यादगार पल था।🥰 मुझे ये बैकवाटर बहुत पसन्द आया।
क्रमशः...
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