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गुरुवार, 18 जून 2020

मुरुदेश्वर यात्रा भाग 7


              मेरी मुरुुुदेश्वर की यात्रा


#भोले_बाबा_के_संग
#मेरा_ड्रीम_डेस्टिनेशन।
#श्री_मेरूदेश्वर_कर्नाटक)
#भाग =7
31 /10/19

परसों पनवेल से 12:50 को नेत्रावती एक्सप्रेस पकड़कर हम कोंकण रेल्वे की सुंदरता निहारते हुए,रात 3 बजे कर्नाटक के तीर्थस्थल मेरूदेश्वर के छोटे से स्टेशन पर उतरे...रात को आराम से होटल में बीती ओर सुबह हमने पूरा दिन मेरूदेश्वर मन्दिर में गुजारा।

आज सुबह हम मेरूदेश्वर के स्थानीय मन्दिर देखने निकले... गोकर्ण देखते हुए अब हम चले कर्नाटक के फ़ेमस जलप्रपात जोगफाल्स की ओर----
केरला के रेस्तरां में खाना खाने के बाद हम सीधे जोगफाल्स की तरफ चल दिये ... गोकर्ण में हमने सिर्फ मन्दिर ओर गोकर्ण बीच देखा लेकिन 0m बीच हम नही देख सके जो कि यहां का फ़ेमस बीच हैं...

इसका कारण ये था कि यहां लगातार हाई अलर्ट घोषित हो रहा था तूफान की संभावनाएं बनी हुई थी लेकिन हमको किधर भी परेशानी नही हो रही थी सबकुछ नार्मल था।

और इसलिए अब  जोगफ़ाल्स देखने चल दिये थे ...यहां से पहाड़ीयां  शुरू हो गई थी .. रास्ते के दिलकश नज़ारे कभी दिल में तो कभी तस्वीरों में कैद करते हुए हम आगे  बढ़ रहे थे... यू ही रास्ते के लंबे लंबे पेडों के फोटू खींचते हुए हम कब जोगफॉल्स आ गए पता ही नही चला।

सामने ही बोर्ड पर लिखा था:-- एशिया का सबसे खूबसूरत वाटर फॉल !

हम कार से उतरकर दूसरे लोगों के साथ फॉल की तरफ चल दिये ..

ज्यो ज्यों हम फॉल के नजदीक जा रहे थे पानी गिरने की आवाज़ तेज होती जा रही थी...अचानक मेरे सामने दूर काले रंग के पत्थरों से निकलता दूधिया रंग का पानी काफी गर्जन करता हुआ नीचे की ओर गिर रहा था, मेरे ओर फॉल के बीच एक गहरी खाई थी...हम दूसरी पहाड़ी के मुहाने पर खड़े थे और फॉल मेरे सामने मचल रहा था.... हम जिधर खड़े थे वहां रेलिंग बनी हुई थी ओर रेलिंग काफी दूर तक चली गई थी...ये पहाड़ सीढ़ियों में विभाजित था और हम जैसे जैसे नीचे उतर रहे थे झरना ओर भी खूबसूरत दिखाई दे रहा था ...नीचे ओर भी सीढ़िया थी लेकिन किसी कारणवश आगे से सीढ़िया बन्द थी ओर लोहे के कांटो से बन्द किया हुआ था।

काले मजबूत पत्थरों के बीच  झरना निसंकोच अविरल बह रहा था।

बारिश खत्म हुए 1महीना गुजर चुका था लेकिन यहां अभी तक काफी पानी था जो निरन्तर बह रहा था।

हमने भिन्न भिन्न कोण से झरने के ओर पहाड़ी के फोटू खिंचे, इतने में बारिश की नन्ही नन्ही बूंदों ने हमारा स्वागत किया तो हम फटाफट एक गुमटीनुमा दुकान में घुस गए जहां

गरमागरम पकौडे तले जा रहे थे लेकिन हमने नही खाये,क्योंकि मिस्टर को पसन्द नही है बाहर तली गली चीजें खाना... इसलिए अपनी लपलपाती जीभ को अंदर की ओर समेटकर सिर्फ चाय रानी से ही संतुष्टि कर हम वापस कार में बैठ गए...

अपनी शाही सवारी चल पड़ी और साथ ही बरखा रानी भी हमारे साथ हो ली ....पूरा पहाड़ पार कर लिया लेकिन बारिश ने रुकना अपनी तौहीन समझा तो हम क्या करते खेर, चुपचाप रंजन की बात मानने के सिवा हमारे पास कोई दूसरा चारा न था ,उसने बोला था कि पहाड़ से नीचे उतरते ही बारिश खत्म हो जाएगी !और हुआ भी यही,... सारी पहाड़ी पार करके जब हम नीचे आये तो बारीश बन्द हो गई ।

अब हमारी गाड़ी हैंगिग ब्रिज पर आकर रुकी तो माहौल एकदम ठंडा ओर सुहावना हो गया था... हम शेरावती नदी के ऊपर बने झूलते हुए पुल के पास खड़े थे.. नीचे नदी में  नावें चल रही थी लोग नोकविहार कर रहे थे और मैं दनादन हैंगिग ब्रिज की तस्वीरें ले रही थी। जब बाहर निकले तो अंधेरा हो चला था ओर मुझे जोरदार भूख भी सता रही थी .. लेकिन बाहर की दुकानों को ललचाई नज़रों से देखती हुई कार में बैठ गई।

बाद में पता चला कि यहां के फ्रूट्स बहुत टेस्टी होते है।

खेर,आज का अंतिम दार्शनिक स्थल देखकर हम वापस होटल आ गए।थकान बहुत हो रही थी इसलिए सामने के रेस्टोरेंट में खाना खाकर सो गए कल उडुपी जाना है।

क्रमसः----

  







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