मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शनिवार, 25 अक्टूबर 2025

पंढरपूर यात्रा भाग--1

पंढरपुर यात्रा भाग --1
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8 सेप्टेंबर 2025
पहला दिन★


हम मुंबई से रात 10:40 की  सिदेहश्वर ट्रेन पकड़कर सुबह 6:45 पर सोल्हापुर पहुँचे ।सोलापुर से 8:30 की कालबुर्गी एक्सप्रेस से हम 10:30 पंढरपुर पहुँचे।


वहाँ से 100 रु ऑटो वाले को देकर हम *विठ्ठल रुक्मणि भक्ति निवास*  पहुँचे ओर रूम लिया।
Ac रूम का 1600 so रुपये ओर नॉन Ac का 1400 so रु। रूम बहुत ही आरामदायक ओर बड़ा था। फ्रेश होकर हम पहले  रेस्टोरेंट गए क्योकि सुबह से हमने नाश्ता नही किया था।तो हमने भक्ति निवास से ही खाना खाया फिर मन्दिर गए। आधे घण्टे में आराम से Vip गेट से दर्शन हुए।जबकि साधारण दर्शन 2 घण्टे में हो रहे थे।भीड़ कम थी।


दोपहर को रूम में आकर आराम किया।
शाम 6 बजे फिर मन्दिर की परिक्रमा कि। ओर नदी तक घूमकर वापस होटल आ गए।








*छतरी*

मेरी छतरी
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किसी भी चीज को व्यर्थ नही समझनी चाहिए।
मैं जब घर से निकलने लगी तो याद आया बारिश के दिन है कभी भी इंद्रा देवता हल्ला बोल सकते है।तो मैंने कमरे में नजर घुमाई 2 छतरियां देखकर मेरे मन को संतुष्टि मिली।पर एक फुल लंबी थी और एक फोल्डिंग थी।फोल्डिंग वाली टूटी थी ,जबकि लंबी वाली ले जाना नही चाहती थी।फिर टूटी हुई फोल्डिंग को ही ले जाने को मजबूर हुई। मैंने टूटी  छतरी उठा ली।

अब क्या हुआ कि दूसरे दिन जिस डेस्टिनेशन पर पहुँची तो वहाँ बारिश ऐसे गायब थी जैसे गधे के सींग!भयंकर गर्मी से  दो -चार  होना पड़ा।

2 दिन बाद जब मैं वहां से चलने लगी तो  छतरी अखरने लगी। अब इस टूटी हुई छतरी का क्या किया जाए।काफी सोच विचार कर मैंने वही होटल के कमरे में फेकने का सोचा।तैयार हो हम कमरे से निकल गए।

अचानक मैंने मुड़ कर छतरी को देखा वो अनुनय विनय मुझे ही ताक रही थी।मैंने एक गहरी सांस ली और निकल गई।

आगे के सफर में मुझे उसकी कातर निगाहें घूरती रही फिर कार के पहियों के साथ धूमिल पड़ती गई।

आगे मैं  अपने नए डेस्टिनेशन पर पहुँचने ही वाली थी कि जोरदार बारिश हो गई और मुझे फिर से अपनी टूटी छतरी याद आने लगी।

उस दिन मेने जिंदगी का ये सबक सिखा की,कोई भी चीज फालतू नही होती सबकी अपनी एक जगह होती है। 


केरला ट्रिप भाग-7

*।।केरला-डायरी।।*
भाग--7
2 जनवरी 2025



मेरी केरला-यात्रा 26 दिसम्बर से पनवेल से शुरू हुई थी जो 27 दिसम्बर को कोच्चीवेळी पहुँची थी। मुन्नार में 3 दिन गुजार कर हम थेकडी पहुँचे  फिर अलेपि।ओर आज हम कोवलम पहुँच गए। आखरी क़िस्त।अब आगे:-----


कोवलम यानी कि ये हमारा केरला ट्रिप का आखरी डेस्टिनेशन था अब बिदाई की घड़ी नजदीक आ रही थी। 6 दिन पहले मिले अनजान लोग अब दिल के बहुत करीब आ चुके थे। सुबह 6 बजे उठना,8 बजे नाश्ता करना और 9 बजे निकल पड़ना अब एक यादगार पल बनने जा रहा था।


कल रात को हम कोवलम बीच पर बने रीसोर्ट में आ गए थे जिसका नाम था "पप्पूकुट्टी" ।पहली बार केरला के किसी होटल का नाम जुबान पर आया था😂🤣😂 वरना नाम याद रखना तो दूर की बात है बोला भी नही जाता था।


खेर, कोवलम का रिसोर्ट बहुत बढ़िया था।होटल के सामने ही विशाल समुद्र  अपनी बांहे फैलाये हमारे स्वागत में खड़ा था।  किनारों पर शांत लहरे आ जा रही थी ओर लोग उन मचलती लहरों के संग  अटखेलियां कर रहे थे।


आगे, हम सब कोवलम के सजे धजे बाजार से गुजरते हुए अपने होटल की ओर बढ़ रहे थे ।अपने रूम में सामान रख हम सब खाना खाने अपनी अपनी पसन्द के होटलों में चले गए। मैं ओर अनिता मैडम अतिथि होटल की पहली मंजिल पर बैठे थे आज कुछ हटकर नानवेज खाने का मन हो रहा था। सामने हीँ समुंदर  दिखाई दे रहा था। जिस पर कितने ही जोड़े  चहल कदमी कर रहे थे। और हम भी ठंडी हवा के झोको से झूम रहे थे। सामने की टेबल पर बैठा एक अंग्रेज जोड़ा हाथ मे बियर का गिलास पकड़े अपनी ही मस्ती में चूर था। और हम सब इन नजारों का लुत्फ लेते हुए अपना डिनर खत्म कर रहे थे। फिर समुंदर के किनारे चलते हुए अपने कमरे में आ गए। अब बस आज का आखरी दिन बचा था साथ  मौज मस्ती के लिए क्योकि कल सब लौट जायेंगे अपनी अपनी जिंदगियों में।😔


कोई नी बादशाहों! अभी तो दिन शुरू हुआ है😂🤣😂
अब, हम सब रोज की तरह गुलफ़ाम बने अपनी उड़न तश्तरी में सवार हो तेजी से त्रिवेंद्रम की ओर बढ़ रहे थे " स्वामी पद्मनाशन मन्दिर की ओर।ये लखपति मन्दिर मेरे कुछ सालों पहले से ही दिमाग मे आया था जब इसके अंदर से खजाना  निकला था हालांकि 2021 में  मैं अपनी रामेश्वरम-कन्याकुमारी यात्रा के दौरान इस मन्दिर के दर्शन कर चुकी थी पर आज फिर ईश्वर ने इस मंदिर में आने का मौका दिया था तो क्या हर्ज था😄


अब  हम सब अपनी लूँगीयां टाइट कर मन्दिर के विशाल प्रागण्ड में लाईन में लगे हुये थे। भीड़ काफी थी  पिछली बार मुझे आराम से दर्शन हुए थे। पर मूर्ति दिखाई नही दी थी।शायद इस बार हो जाये।


अचानक, हमारे ग्रुप के वीर जवान कहीं से जुगाड़ कर के Vip टिकिट्स ले आये और हमको कुछ राहत मिली ।अब हम दूसरी Vip लाईन में खड़े थे जो काफी नजदीक थी।


गर्भ गृह में दीपक की रोशनी में मुझे पिछली बार की तरह मूर्ति के दर्शन इस बार भी नही हुए।😪 मेरे लिए ये अफसोस कि बात है कि मुझे दीपक की  लो में मूर्ति के दर्शन नही हुए।


साउथ में सभी बड़े छोटे मंदिरों में दीपक जलते हैं और उनकी मध्यम रोशनी में सबकुछ धुंधला नजर आता हैं खेर, उस स्थान पर पहुँचना ही बहुत बड़ी उपलब्धि हैं। यही सोचकर दिल को तसल्ली दी।
अब हम एक बार फिर से कोवलम बीच के पास बने लाईट हाउस में पहुँच गए पर यहाँ कहते है लिफ्ट हैं तो हम सब पहली मंजिल पर चढ़कर लिफ्ट के जरिये 6 माले तक आराम से पहुँच गए पर आखरी मंजिल फिर से सीधी सपाट थी आगे सीढ़िया थी।अब 'मरता क्या न करता' जैसे तैसे हम लोग सीढ़ियों के जरिये ऊपर आ गए☺️ ऊपर आकर दिल खुश हो गया।हमारे सामने विशाल समुंदर दूर तक नजर आ रहा था और कोवलम बीच का शानदार नजारा दिखाई दे रहा था। सबने खूब फोटू खिंचवाए ओर आराम से नीचे आ गए।
अब हम नजदीक ही भगवान शिव के मन्दिर पर पहुँच गए।यहाँ भगवान शंकर की एक विशाल प्रतिमा बनी थी जिसका जिक्र मेंने कई वीडियो में देखा था।ये मूर्ति मैंने पिछली यात्रा में नही देखी थी। पास ही मन्दिर भी था।


अब ,हम सब अपने रात्रि निवास पर लौट आये।आज एक नाटिका भी खेली गई जिसका नाम था सोनू की शादी।


ओर सोनू की शादी जिसका डायरेक्शन , लेखन, पटकथा ,संवाद,अभिनय सभी हमारे ग्रुप के युवा डायरेक्टर p n शर्मा जी ने किया था।ओर सोनू यानी कि हमारी सोनाली चक्रवती ओर मिस्टर सन्दीप चक्रवती ने दुल्हा-दुल्हन बनकर इस प्ले में चार चांद लगा दिए। नाटक की प्रस्तुति इतनी अच्छी थी कि हमारा हंस हँस के बुरा हाल हो गया।


रात गुजरती रही और हमारा कोवलम स्पेशल प्ले शो अपनी गरिमा बनाते हुए आगे बढ़ता रहा। इतना आनंद मैंने आज से पहले किसी मीटिंग में नही लिया था।


ये आखरी रात हमारे पूरे केरला टूर पर भारी थी।














ओर

ओर इस तरह हमारी केरल यात्रा खत्म हुई।

केरला ट्रिप भाग -6

*।।केरला-डायरी।।*
भाग--6
1जनवरी 2025


मेरी केरला-यात्रा 26 दिसम्बर से पनवेल से शुरू हुई थी जो 27 दिसम्बर को कोच्चीवेळी पहुँची थी। मुन्नार में 3 दिन गुजार कर कल हम थेकडी पहुँच गए थे ।आज हमारा पांचवा दिन हैं ओर साल का पहला दिन हैं। अब आगे:-----


आज साल का पहला दिन हैं और ये शुरू हुआ ठीक रात के 12 बजे केक कटिंग के साथ💐🎂
तो हुआ यू की कल रात 31दिसम्बर का जश्न हम अलेपि के बीच पर मनाने वाले थे। रात को सब गुलफ़ाम बने पार्टी के इंतजार में 9 बजे सजधज कर कमरे से बाहर निकले तो पता चला कि यहाँ का बीच 2-3 km दूर है और हमारा बस वाला नोटांक मार कर आराम से सो रहा हैं उसने स्पष्ट बोल दिया कि 9 बजे के बाद गुडनाईट, मतलब गुडनाईट।

 
अब उसके फैसले से उसको एस्ट्रा पैसा भी नही हिला सका तो बेचारे हमारे ग्रुप के 'बॉयज' दौड़ लगाकर ऑटो वालो को ढूंढने निकल पड़े पर लगता था सारे आटो वाले नए साल का जश्न दारू पीकर मनाने वाले थे तो कोई आने को तैयार नही था।और अगर 1 आध मिल भी गया तो 18 लोग छत पर चढ़कर या एक दूसरे की गोद मे बैठकर भी नही पहुँच सकते थे।  बड़े मायूस हो हमने बीच पर जाना केंसिल किया और अपुन की मंडली वही जमा ली।मूढ़ तो खराब हो चुका था पर थोड़ी देर में सब नार्मल हो गया।


फिर क्या था Gds की महफ़िल जब जम जाती हैं तो खत्म होने का नाम ही नही लेती😂😂 सब अपने अपने धांसू किस्से सुनाने लगे और ठीक 12 बजे जब अचानक पटाखे चलने लगे तो होश आया कि नया साल तो गया😀 सब बाहर की ओर लपके ओर लगे नाचने । बाहर अंधेरा था तो अंधेरे को दूर किया मोबाइल की टार्च ने।जब सब थक कर अंदर आये तो एक हेवी केक हमारा इंतजार कर रहा था। ये बड़ा सरप्राईज था।जी हां, लेकिन ये नए साल का केक नही था बल्कि हमारे ग्रुप की मेम्बर ललिता नाहटा का जन्मदिन केक था जिसे उनके प्यारे बेटे मनन ओर राहुल सजा रहे थे। यानी कि नए साल के जश्न में जन्मदिन का जोश भी शामिल हो गया।इस दुगनी खुशी के बीच उन्होंने केक काटा ओर हम सबने जीभर कर खाया और इस तरह हमारे पिछले साल की बिदाई ओर नए साल के आगमन की खुशियां मनाई गई जो हमारे मानस पटल पर हमेशा अंकित रहेगी।🥰
रात 1 बजे के बाद सोए ओर ठीक 8 बजे नाश्ता खाने भी आ गए क्योकि आज फिर हमको इस होटल से अपना बोरिया बिस्तर लपेटकर आगे कोवलम जाना था जहाँ 2 दिन रुकना था।
खेर, हम सबने सुबह नाश्ता किया। आज का नाश्ता  कल से भी बढ़िया था ।तो सबने एक साथ अपना नाश्ता खत्म किया और हम सब  बस में सवार हो गए।


आज सुबह-सुबह हम अलेपि की फेमस राइड यानी कि चलते फिरते घरों में घूमने निकल पड़े।
अलेपि के चलते-फिरते घर यानी कि हाउसबोट में हमने डेरा जमा लिया और लगे कव्वाली करने।क्या हुड़दंग मचाई की कह नही सकती।
कहीं फोटू खींचने की होड़ लगी थी तो कहीं कव्वाली गाई जा रही थी तो कहीं डांस हो रहे थे  ओर तो ओर हमारे शास्त्री जी ने तो "हनुमान चालीसा" ही शुरू कर दिया जिसमें स्वर से स्वर मिलाया हमारे ग्रुप के ' बॉयज' ने तो माहौल एकदम भक्ति पूर्ण हो गया। फिर क्या था थोड़ी देर में हम सब हनुमान चालीसा गा रहे थे। हालांकि मुझे पूरा नही आता पर स्वर मैंने भी मिला ही दिया।☺️


उसके बाद रही सही कसर हमारी अनिता मैडम ने एक पहाड़ी गीत गाकर पूरी कर दी।नए साल का ये रंगारंग प्रोग्राम ऐसा लग रहा था मानो हमारे केरला ट्रिप का यही पैसा वसूल आईटम हो।😛
2 घण्टे की ये पानी पर तैरती सैर मुझे जिंदगी भर याद रहेगी।🥰🥰


अब हम सब अपनी दूसरी डेस्टिनेशन पर चल दिये जिसका नाम था --"जटायु अर्थ सेंटर"।
यहाँ आने की मेरी दिली ख्वाहिश थी ।मैं काफी दिनों से ये जगह आना चाहती थी पर आना नही हो पा रहा था। 2021 में अपनी रामेश्वरम -त्रिवेंद्रम यात्रा में मैं इस जगह से अनजान थी वरना तभी आ जाती।


खेर,लेकिन कई बार सबकुछ ठीक होने पर भी बहुत कुछ नही होता।इंसान के हाथ मे कुछ भी नही हैं वो उस ऊपर बैठी अदृश्य शक्ति के हाथ का खिलोना मात्रा हैं।उसके इशारे के आगे हम इंसान कितने मजबूर है।


यहाँ आकर पता चला कि आज रोप वे बन्द हैं और 900 सीढ़ियों से ही सब लोग ऊपर  आ-जा रहे हैं। खड़ी चढाई चढ़ना मेरे लिए बहुत मुश्किल था 😪इसलिए हमारे ग्रुप के जवान मेम्बर सीढ़ियों से चढ़ गए और हम नीचे बैठे उनका इंतजार करते रहे । ओर ये सोचकर खुश हुए की यहाँ तक आना ही हमारे लिए सौभाग्य की बात है। ये सोचकर दिल को तसल्ली दी कि इसमे भी उस वाहेगुरु की कोई रजा होगी। हम नीचे 2 घण्टे तक सबका इंतजार करते रहे और उनकी आंखों के जरिये ही उस पवित्र स्थल का अवलोकन करते  रहे जहाँ भगवान राम के चरण पड़े थे।


सबके आने के बाद हमारी सवारी आगे कोवलम बीच पर चल दी। लेकिन बीच मे एक वेज रेस्टोरेंट में सबने छक्क कर खाना खाया।
पोस्ट लंबी हो गई हैं तो आगे की यात्रा अगले एपिसोड में देखिए आपके अपने केरला डायरी में
क्रमशः***



















केरला भाग-5

*।।केरला-डायरी।।*
भाग--5
31दिसम्बर 2024



मेरी केरला-यात्रा 26 दिसम्बर से पनवेल से शुरू हुई थी जो 27 दिसम्बर को कोच्चीवेळी पहुँची थी। मुन्नार में 3 दिन गुजार कर आज हम थेकडी पहुँच गए हैं ।आज हमारा चौथा दिन हैं, अब आगे:-----
कल शाम को हम थेकडी पहुँचे थे । मुख्य बाजार में स्थित हमारा होटल बहुत ही बढ़िया था सामने ही बड़ा सा चर्च था और उसी के कोने में माँ मरियम की विशाल सफेद प्रतिमा थी जिस पर रात को रंग बिरंगी लाईट के फोकस से प्रतिमा बेहद खूबसूरत लग रही थी।हल्की -हल्की ठंड में हम बाजार में घूम रहे थे बहुत ही प्यारा मौसम था इस समय। फिर खाना खाकर हम आकर होटल में सो गए।


आज सुबह भी होटल में नाश्ता करने वाली मैं पहली ही मेम्बर थी🤪 आज हमारा नाश्ता 3 दिन की अपेक्षा ज्यादा ही शानदार था। कंठ तक ठूंस कर मैंने नाश्ते से इतिश्री की।😋😋


मैंने देखा धीरे धीरे ग्रुप के सभी मेम्बर नाश्ता कर चुके तो हम सब आज जंगल मे मंगल मनाने निकल पड़े।हमारे साथ सोनाली,नेहा,अनिता मेम ओर चक्रवती सर नही गए बाकी सब 4-5 के ग्रुप में 3 जीप में सवार हो निकल पड़े।


आगे जाकर बन्द जीपों के कवर को खोल दिया गया जैसे कोई लड़की अपनी बंधी हुई जुल्फों को खोल देती हैं ठीक वैसे ही  हमारी जीप और उसमें बैठे हम लोग मदमस्त होकर उड़े जा रहे थे।अब ठंडी ठंडी हवा हमारे चेहरो से टकरा रही थी ओर हमारे बाल हवा में लहरा रहे थे। हिचखोले खाती हमारी जीप टेढेमेढे खूबसूरत रास्तों से गुजर रही थी कि अचानक सारी जीपें एक जगह रुक गई ।
मैंने भी उतरकर जायका लिया तो पता चला कि नीचे एक नदी बह रही हैं वो एक खूबसूरत पॉइंट था।सब वो ही देखने नीचे उतर चुके थे  । पर नीचे उतरना मुझे थोड़ा टेडी खीर लग रहा था पर मेरा मन इस खीर को खाने को ललचा रहा था क्योकि मुझे आभास हो गया था कि ये खीर नमकीन नही अपितु बहुत मीठी होगी😍 और हुआ भी वही, खीर मीठी ही नही बल्कि मेवा डली थी। तो अपने राम कूद पड़े इसे फ़तेह करने और इसमे साथ दिया हमारे ग्रुप के  जैन साहब ओर सूद साहब ने जिनका सहारा लेकर आखिर ये गर्मागर्म खीर मैंने खा ही ली😀😀

 
नदी बहुत ही खूबसूरत थी पहाड़ी नदी कल-कल बहता पानी उफ्फ्फ..गजब!! तभी मुझे फ़िल्म मधुमती की नदी याद आ गई जिधर वैजयंतीमाला ने गीत गाया था:--
"मैं तो कब से खड़ी इस पार... ये अंखिया थक गई पथ निहार...आ ...जा..रे परदेशी.."
परदेशी तो कोई आया नही पर हमारे ग्रुप के सारे हैंडसम मर्द अपनी बुआ के फोटू खींचने जरूर आ गए ओर फिर फोटुओं का जो दौर चला तो रुकने का नाम ही नही ले रहा था । उधर हमारे एडमिन अलग मुझसे होड़ लगा रहे थे नायाब फोटू खिंचवाने में,पर मुझे पता था मुझसे बाजी नही जीत सकते😄 😀😀


नीचे उतरना जितना टेडी खीर था ऊपर आना  उससे भी ज्यादा कठिन था परंतु Gds हो जिधर पंगा नही लेने का उधर 🙆 मैं कब ऊपर आ गई मुझे पता ही नही चला 🤣😂🤣


तो जनाब सभी के प्रयासों से मैं ऊपर आ गई और हमारी जीप फिर एक बार चल पड़ी।
काश! यहाँ सोनाली होती तो हजारों की तुलना में फोटू खिंचवाती ओर हमारे पप्पूकुट्टी बेचारे अभी तक नदी की लहरों में फंसी सोनाली मैडम की तस्वीरें खिंचते रहते। 🥰


अब हमारी जीप उछलती कूदती सरपट दौड़ रही थी आगे बहुत की खराब रास्ता आने वाला था जिसने मेरी हड्डी पसली एक कर दी।😔


जिसके कारण मुझे रात को आयोडेक्स ढूंढना पड़ा परन्तु वो कमबख्त पता नही कीधर कम्बल ओढ़कर सोया हुआ था कि मिला ही नही😪😪
हड्डियां तुड़वा कर हम जंगल मे मंगल मनाते रहे मनाते रहे जब भी जीप किसी खूबसूरत स्पॉट पर रुकती हम ता-थैया -ता-थैया करते और फिर जीप में बैठ जाते अपनी कमरिया तुड़वाने😪

 
और आखिर में हमारा कलमुँही जीप से पीछा छूटा ओर हम सब हमारी प्यारी बस में सवार हो गए ।यहाँ सोनाली,नेहा ओर अनिता मैडम फिर से मिल गए और हमारी सवारी आगे अलेपि की ओर भागने लगी।रास्ते मे एक जगह लंच किया।हालांकि आज भूख उतनी नही थी क्योकि सुबह अनलिमिटेड नाश्ता जो ठूस लिया था।


शाम के 4 बजे हम अलेपि पहुँच गए और सबसे पहले लाईट हाउस देखने पहुँचे। सात मंजिला लाईट हाउस की गोल सीढ़िया देखकर पहले तो मुझे चक्कर आ गये फिर एकदम नही बोलकर  मैंने दिल को तसल्ली दी कि मैं ऊपर नही जा सकती पर सोनाली को ऊपर जाता देखकर मेरा डरपोक मन थोड़ा साहस दिखा गया  और डरते डरते श्री राम का नाम लेकर आखिर ऊपर चढ़ ही गई। पर दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था बार बार यही बोल रहा था कि ––" बेटा ऊपर चढ़ तो गई हैं पर अब उतरेगी कैसे😭😭😭


सच मानो,किस टाइम मेरे दिमाग मे ये सनक सवार हुई थी कि मैं ऊपर चढूगी? कान पकड़े बाबा! आज के बाद ऐसी पागलपंथी फिर कभी नही करुँगी। सच्ची! मैंने दिल को तसल्ली दी।
हालांकि 2 दिन बाद फिर वही फितूर सवार हुआ था 😔😔😔


लाईट हाउस देखकर हम अलेपि के बीच पर आ गए जिधर सनसेट का विहंगम दृश्य दिखने वाला था।सबने बीच पर खूब हुडदंग मचाई। आज 31 की रात थी और हम सब यहाँ पार्टी करने वाले थे। वो अगले एपिसोर्ट में
क्योकि,अभी पिक्चर बाकी हैं मेरे दोस्त!!!
क्रमशः*****













केरला ट्रिप भाग -4

*।।केरला-डायरी।।*
भाग--4
30दिसम्बर 2024



मेरी केरला-यात्रा 26 दिसम्बर से पनवेल से शुरू हुई थी जो 27 दिसम्बर को कोच्चीवेळी पहुँची थी। अब हम मुन्नार में हैं  आज हमारा तीसरा दिन हैं, अब आगे:-----

आज हमारा सारा टब्बर मुन्नार से निकल रहा था, 3 दिन यहाँ रहकर इस माहौल से, यहाँ के स्टॉफ से इश्क हो गया था। स्पेशली विष्णु से थोड़ा ज्यादा ही लगाव हो गया था वो भी हमसे घुलमिल गया था थोड़ा भावुक हो वो मेरे पास सेल्फी खिंचवाने आ गया। हम सबने सेल्फी खिंचवाई ओर वहाँ से बिदाई ली।
अब हम एक शानदार टी-गार्डन में पहुँचे जिधर 50 ₹ का टिकिट कटवाकर हम सब चाय के बगानों में ऐसे घुस गए जैसे बेगारी करने जा रहे हो 🤣😂😂
यहाँ सबने अपनी अपनी रील बनाई और दिल की तमन्ना फोटुओं में धो दी। सभी ने अलग-अलग पोज बनाकर बरसों की तमन्ना पूरी की🥰 यहाँ का माहौल भी बहुत रोमांटिक था चारो ओर चाय के बगान...पीछे दूर तक  हरे-हरे पहाड़ ओर उन पर नाचते सफेद बादल.. आश्चर्य की चरम सीमा तक जादुई माहौल था....कभी बादल पहाड़ पर थिरकते नजर आते कभी चाय के बगानों पर ओर कभी हमको ठंडा सा स्पर्श करवा जाते।
सन्दीप साहनी जी हरे बगानों में अपनी लाल रंग की टीशर्ट में  देवानन्द नजर आ रहे थे ओर योगिता के पीछे दौड़ लगा कर गा रहे थे--" माना जनाब ने पुकारा नही,क्या मेरा प्यार भी गवारा नही..." ऐसा लग रहा था मानो किसी तोते ने अपने मुंह मे लाल सुर्ख मिर्च दबा रखी हो ।उस पर मैंने उनका थिरकता हुआ वीडियो भी बना डाला☺️
उधर हमारे नम्बर 2 सन्दीप चटर्जी किसी मलयालम बेग़म के पीछे पड़े हुए थे और वो उनसे अपना पल्लू छुड़ाकर उनको चेता रही थी --- "छोड़ दो आँचल जमाना क्या कहेगा"। ओर हद तो तब हुई जब मैं उनका भी वीडियो बना रही थी।😂😂🤣
इधर हमारे एडमिन तो एक छोटी- सी डूंगर पर ही चढ़ गए और आमिरखान की तरह लहरा-लहरा कर गाना गाने लगे ---"पहला नशा, पहला खुमार... नया प्यार है नया इंतजार..."🥰  मुझे डर लगने लगा, कहीं आमिर खान की तरह शर्ट न उतारकर फेंक दें परन्तु एक नम्बर के कंजूस अपनी Gds की टोपी तक नही फेंक सके😂🤣😂 मैंने इनका भी फोटू उतार लिया।
इस जादुई माहौल में हम सब काफी देर तक उठा-पटक करते रहे। सबने बहुत इंजॉय किया अब हमारी बस बादलों को काटती हुई दौड़ रही थी। सामने की सड़क तक दिखनी बन्द हो गई थी हम खुद भी बादलो के अंदर से निकल रहे थे।ये पल इतना रोमांचक और जादुई था कि लग रहा था मानो हम स्वर्ग में घूम रहे हो👻👻
थेकडी का 3-4 घण्टे का सफर था एक जगह रुककर हमने आज  का लंच भी किया।
केरल में 3-4 घण्टे के सफर में बोरियत बिल्कुल नही होती क्योकि दृश्य इतने खूबसूरत होते हैं कि
आंख बंद करने का मौका ही नही मिलता।घुमावदार रास्ते,हरे भरे चाय के बागान ओर खूबसूरत घर देखते रहने का मन होता हैं।
शाम 4 बजे हम आराम से थेकडी पहुँच गये । थेकडी के इंटर पर ही हमको भगवान गणेश की बड़ी विशाल मूर्ति देखने को मिली। फिर कुछ देर बाद हम एक बढ़िया से होटल के आंगन में उतरे जो मेन बाजार में था आसपास काफी दुकानें थी और सामने एक बड़ा सा चर्च था जिस पर नए साल के उपलक्ष्य में लाइटिंग कर रखी थी।
कुछ देर फ्रेश होकर हम ठीक 6 बजे यहाँ पास ही  कथककली का शो देखने गए 200 रु पर पर्सन  का online टिकिट सन्दीप ने पहले ही करवा लिए था। कथकली नृत्य नाटिका मैंने जीवन मे पहली बार ही देखी थी।  कलाकारों ने लक्ष्मण और शूपर्णखा का कैरेक्टर जबरजस्त प्ले किया था। एकदम मंजा हुआ अभिनय और भाव भागिमा देखते ही बनता था।
उसके बाद हमने केरल की एक ओर प्राचीन कला को देखा जिसे "कलारिपट्टू" कहते हैं। इसमे योद्धा ओर उसकी युध्द कला दिखाई गई थी जो हैरत करने वाली थी।
ये भी 1 घण्टे का प्रोग्राम था। थियेटर से निकलकर हम बाजार में आ गए और सबने अपने मनपसंद गरम मसाले खरीदे।
आज पूरे दिन बहुत कसरत की थी तो नींद भी आंखों में थपेड़े मार रही थी कल फिर सफर करना है तो हम सब गुड बॉय बोलकर अपने अपने रूम में चले गए।
मिलते हैं एक ब्रेक के बाद।