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गुरुवार, 2 जुलाई 2020

अमृतसर की यात्रा भाग 2

                       जलियांवाला बाग

#अमृतसर की यात्रा
#भाग 2
#30 मई 2019

28 मई को मैं ओर मेरी सहेली रुक्मणि बम्बई से अमृतसर गोल्डन टेम्पल ट्रेन से अमृतसर को निकले...
रतलाम  में मेरी भाभी भी आ  गई ...तीसरे दिन 30 मई को सुबह 6 बजे हम सब अमृतसर पहुँच गये ... सुबह दरबार साहब में दर्शन कर हम अमृतसर सिटी घूमने निकल गए ...
अब आगे:--

 दोपहर में हम गुरद्वारे में लंगर छक के टँना-टन्न होकर #जलियांवाला बाग की ओर चल दिये ...गर्मी अपना रूप दिखा रही थी और हम भी अपने रुपों पर पर्दा डाल चश्मा सजा गर्मी को चुनोँती देते हुए घूम रहे थे। जलियांवाला बाग मैंने कई बार देखा है जब भी यहां आती हूँ इसमें मारे गए निर्दोष लोगों के प्रति मन में दुख उमड़ पड़ता हैं ..आंखें नम हो जाती हैं और शहीदों की शहादत पर आंसू बहने लगते हैं...मन बोझिल हो जाता हैं ...इसलिए हम तुरंत बाहर निकल पड़े ,बाहर अभी ताजा ताजा शहीदे आजम भगतसिंह की प्रतिमा लगाई गई हैं जिसके इर्दगिर्द लोग खड़े होकर शान से अपनी तस्वीरें निकाल रहे थे।

जलियांवाला बाग देखकर हम नवनिर्मित महाराजा रणजीत सिंह चौक देखने लगे , बहुत ही खूबसूरत चौक बनाया है,इसमें महाराजा अपने घोड़े पर सवार अपनी तलवार को लहराते हुए दिखाई देते हैं... पास ही पंजाब का फ़ेमस भांगड़ा करती हुई मूर्तियां इस जगह को बेमिसाल रूप प्रदान कर रही थी। वाकई में ये नया रूप अमृतसर गुरद्वारे को एक नई आभा देता है।
वहां से हमने एक बैट्री चलित ऑटो किया और अमृतसर की फ़ेमस लस्सी की दुकान #आहूजा लस्सी की दुकान पर चल दिए...
ओर अब हम आहूजा लस्सी पी रहे थे ...इस गर्मी में लस्सी पीना ऐसा लग रहा था मानो अमृत पी रहे हो...मलाई युक्त लस्सी पीकर तन और मन दोनो तृप्त हो गए तो हमने ऑटो वाले को भी एक लस्सी का गिलास पकड़ा दिया... शायद वो भी इस लपलपाती गर्मी में लस्सी पाकर धन्य हो गया होगा ...😜

लस्सी पीकर 2-4 फोटू खींचकर हम आगे बढ़ चले अब हमारा अगला ठिकाना था दुर्गियाना टेंपल इसको भी स्वर्णमंदिर कहते हैं... अमृतसर में दो स्वर्णमंदिर हैं एक तो वो जिसमें हम सुबह गए थे जो वर्ल्र्ड फ़ेमस हैं।
ओर दूसरा ये स्वर्णमंदिर हैं जिसे दुर्गियाना टेम्पल कहते है  इसमें भगवान विष्णु  ओर माता लक्ष्मी की बहुत ही मनमोहक मूर्तियां हैं ...
यह मन्दिर हूँ- ब -हूँ दरबार साहिब की कलाकृति हैं,लेकिन यहां मन्दिर पर सोना नही ,सोने का पालिश चढ़ा हुआ हैं...
कहते हैं अमृतसर के किसी सेठ ने इस मंदिर का निर्माण किया था ओर इसका भी नाम स्वर्णमंदिर ही रखा था, लेकिन इस मंदिर में उस स्वर्णमंदिर जैसी बात नही थी,सफाई तो बिल्कुल भी नही थी,तालाब खाली था... फिर भी काफी अच्छा मंदिर बना हुआ हैं।
मन्दिर में भजन बज रहे थे कुल मिलाकर माहौल काफी भक्तिमयी था शाम घिर आई थी हम वहां से चाय पीने एक रेस्तरां में आये फिर बाजार में घूमते रहे...बाजार अपने पूर्ण यौवन पर था,खूबसूरत पंजाबी सूट ओर लहलहाती चुन्नियां हवा में उड़ रही थी... भाभी ने शॉपिंग की,अपनी लड़की और बहू के लिए सूट खरीदे ओर मैंने भी एक चुन्नी खरीदी...हमने अमृतसर की फ़ेमस बड़िया भी खरीदी ओर घुमते हुए पैदल ही हम गुरद्वारे आ रहे थे तो रास्ते में एक टूरिस्ट कम्पनी पर निगाह पड़ी....

दोपहर में हमने आगे के सफर की योजना बनाई थी उसको पूरा करना था ,अब आगे का सफर हम कार से करने वाले थे हमने 7हजार में एक कार बुक की जो हमको आनंदपुर साहेब,किरतपुर, ज्वाला माता और माता चिंतपूर्णी के दर्शन करवाते हुए गुरद्वारा मनिकरण तक छोड़ दे।

बात पक्की कर सुबह 9 बजे ड्राइवर को आने का बोलकर हम अपने रूम पर आ गए,काफी थक गए थे इसलिए फटाफट नींद भी आ गई।

शेष आगे:---

  2011 में यहां भगतसिंह की प्रतििमा नही थी

 

   
   


                       नरंसहार 
                          कुआ




                महाराजा रंजीत सिंह

                      लस्सी

                दुर्ग्गी्याना टेम्पल

   

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Must buaaa

Sachin tyagi ने कहा…

दुर्गियाना टेम्पल के बारे में नई जानकारी दी आपने। फ़ोटो से ब्लॉग में चेतना आ जाती है।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

Thnx सचिन

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

Thnx